आदिम गूंज १५

अंधेरों का गीत

मूक बांसुरी गाती है
मन ही मन
अंधेरों के गीत
मूक बांसुरी में बसता है
सोई हुई उम्मीदों
और खोए हुए सपनों का
भुतहा संगीत
देखती है मूक बांसुरी भी
सपने, घने अंधेरे जंगल में
रोशनी की झमझम बारिश का
मूक बांसुरी में कैद है
अंधेरे का अन्सुना संगीत
.....

-उज्जवला ज्योति तिग्गा-

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें