आदिम गूंज २५



धरती के अनाम योद्धा

इतना तो तय है/कि
सब कुछ के बावजूद
हम जियेंगे जगली घास बनकर
पनपेंगे/खिलेंगे जंगली फ़ूलों सा
हर कहीं/सब ओर
मुर्झाने/सूख जाने/रौंदे जाने
कुचले जाने/मसले जाने पर भी
बार-बार,मचलती है कहीं
खिलते रहने और पनपने की
कोई जिद्दी सी धुन
मन की अंधेरी गहरी
गुफ़ाओं/कन्दराओं मे
बिछे रहेंगे/डटे रहेंगे
धरती के सीने पर
हरियाली की चादर बन
डटे रहेंगे सीमान्तों पर/युद्धभूमि पर
धरती के अनाम योद्धा बन
हम सभी समय के अंतिम छोर तक...

-उज्जवला ज्योति तिग्गा-

धरती के सभी अनाम योद्धाओं के नाम
विश्व आदिवासी दिवस की आप सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!!!...