आदिम गूंज २०

पानी का बुलबुला...

मेरे आंसू हैं महज 
पानी का बुलबुला
और मेरा दर्द 
सिर्फ़ मेरा दिमागी फ़ितूर
उनके तमाम कोशिशों के बावजूद
मेरे बचे रहने की जिद्द के सामने
धाराशायी हो जाते हैं
उनके तमाम नुस्खे और मंसूबे
अपने उन्हीं हत्यारों की खुशी के लिए
रोज हंसती हूं गाती हूं मैं
जिन्हें सख्त ऐतराज है
मेरे वजूद तक से
उन्हीं की सलामती की दुआ
रोज मांगती हूं मैं
अजनबी होते देश में
रहने की कीमत
रोज अपना सिर कटा कर
चुकाती हूं मैं.

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-उज्जवला ज्योति तिग्गा-